tag:blogger.com,1999:blog-8991622950326641568.post6902057190242928818..comments2023-10-29T14:47:22.589+05:30Comments on notepad: एक पगलाए वक्त में रस-चर्चासुजाताhttp://www.blogger.com/profile/10694935217124478698noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-8991622950326641568.post-2349712152592180422007-09-08T17:15:00.000+05:302007-09-08T17:15:00.000+05:30हां घुघुती जी ।जुगुप्सा का अर्थ यही है । आपका ’शब्...हां घुघुती जी ।जुगुप्सा का अर्थ यही है । आपका ’शब्द्कोश’ सही है ’शब्द्कोष’ नही :)सुजाताhttps://www.blogger.com/profile/10694935217124478698noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8991622950326641568.post-30294238427970095922007-09-07T23:51:00.000+05:302007-09-07T23:51:00.000+05:30सुजाता जी, लेख पसन्द आया । सभी रसों के बारे में बत...सुजाता जी, लेख पसन्द आया । सभी रसों के बारे में बताने के लिए धन्यवाद । हिन्दी का ग्यान सीमित है । मेरा शब्दकोष जुगुप्सा का अर्थ निन्दा, बुराई, अश्रद्धा और घृणा बता रहा है । क्या आपका भी यही तात्पर्य है ? <BR/>घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8991622950326641568.post-32044210090060015212007-09-07T07:46:00.000+05:302007-09-07T07:46:00.000+05:30समीर जी अन्यथा नही लिया ।बस सोचा कि - पकाने का सार...समीर जी अन्यथा नही लिया ।बस सोचा कि - पकाने का सारा ठेका समीर जी ने लिया है क्या ? हम क्यो नही पका सकते ? सो लिख मारा यह लेख दो दिन लगाकर ! बदलाव के लिए यह अच्छा रहा न! <BR/>:)Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8991622950326641568.post-51312185371033990892007-09-06T21:36:00.000+05:302007-09-06T21:36:00.000+05:30अब चाहे रौद्र कहें या पागलपन..मगर आँखे लाल हो चुकी...अब चाहे रौद्र कहें या पागलपन..मगर आँखे लाल हो चुकी हैं और बाहें भी फड़क रही है..पूरा लेख किसी तरह खत्म करते करते. कोर्स में पढ़ाने के लिये लिखते लिखते यहाँ चैंप दिया क्या? <BR/><BR/>वीर और रौद्र रस की स्थितियाँ आज सम्भव नहीं । ये दोनो रस रस चर्चा में बहिष्कृत होने चाहिए ।<BR/>अब एक नया रस निकला है पकाऊ रस!! सुना है आपने कभी इस बारे में??<BR/><BR/>वैसे चर्चा महत्वपूर्ण है..वीर और रौद्र रस के उदाहरण ही कहाँ रह गये हैं वरना मैं जरुर लिखता उस पर.<BR/><BR/>अब आप गद्य संभालिये (यही वाला) और मैं कविता की कोशिश करता हूँ-नये पकाऊ रस पर.<BR/><BR/>मौज की टिप्पणी है-अन्यथा न लेना. स्माईली ले लें दो ठो. :) :)Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8991622950326641568.post-31910211057823912802007-09-06T18:34:00.000+05:302007-09-06T18:34:00.000+05:30उफ़! आशुतोष ,आपने इसे गन्ने वाला रस तो नही समझा था ...उफ़! आशुतोष ,आपने इसे गन्ने वाला रस तो नही समझा था न !सुजाताhttps://www.blogger.com/profile/10694935217124478698noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8991622950326641568.post-45723818675458637472007-09-06T18:23:00.000+05:302007-09-06T18:23:00.000+05:30itnee neeras rascharcha!itnee neeras rascharcha!आशुतोष कुमारhttps://www.blogger.com/profile/17099881050749902869noreply@blogger.com