tag:blogger.com,1999:blog-8991622950326641568.post5386897609286850425..comments2023-10-29T14:47:22.589+05:30Comments on notepad: शनैश्चराय नम:..........!सुजाताhttp://www.blogger.com/profile/10694935217124478698noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-8991622950326641568.post-18073249240224301612007-06-17T19:44:00.000+05:302007-06-17T19:44:00.000+05:30:) This will speak better than words. :):) This will speak better than words. :)Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8991622950326641568.post-55788307997859389342007-06-17T06:29:00.000+05:302007-06-17T06:29:00.000+05:30पहले घर देख और मेरा सनीचर उतार,पहले घर देख और मेरा सनीचर उतार,Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8991622950326641568.post-45672584838104248912007-06-17T00:52:00.000+05:302007-06-17T00:52:00.000+05:30:) सही है।इसी बहाने आपकी पोस्ट दिखी!:) सही है।इसी बहाने आपकी पोस्ट दिखी!अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8991622950326641568.post-15384687984130637852007-06-17T00:06:00.000+05:302007-06-17T00:06:00.000+05:30पहले यह बताएँ कि शनिवार को क्या-क्या नहीं करना चाह...पहले यह बताएँ कि शनिवार को क्या-क्या नहीं करना चाहिए? तभी तो वह सब किया जा सकेगा।Pratik Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/02460951237076464140noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8991622950326641568.post-17674426331602965222007-06-16T21:00:00.000+05:302007-06-16T21:00:00.000+05:30मलूम नही शनि के बारे मे इस प्रकार का दर क्यों बैठ ...मलूम नही शनि के बारे मे इस प्रकार का दर क्यों बैठ गया है. लोग सडे साती से दरते है. तरह के किस्से प्रचलित है साडे साती के बारे में ।<BR/>हकीकत मे हमारे जीवन काल के तीस वर्ष मे हमारा एक बार साडे साती से पाला पदता है। अब जब साडे साती हमारे जीवन की एक एसी हकीकत है तो डरना क्या ।<BR/><BR/>हमारा मान्ना है कि शनि ऎक सुनार है, जो हमे भट्टी मे डाल देता है. सब बेकार का जल जाता है और जो बचत है वो २४ केरट का सोना होता है। और यह सोना बनने का अव्सर हमारी जिंद्गी मे एक से ज्यादा बार आता है ।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/07183084459399181101noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8991622950326641568.post-29152192461107683492007-06-16T19:44:00.000+05:302007-06-16T19:44:00.000+05:30नीलांजम समाभाषं रवि पुत्रं यमाग्रजम छायामार्तण्ड ...नीलांजम समाभाषं रवि पुत्रं यमाग्रजम छायामार्तण्ड संभूतं तं नमामि शनैश्चरं । ज्योतिष ग्रंथों में शनि ग्रह को न्याय का देवता कहा गया है जो भी इसके आड में अन्याय करता है उसको देर सबेर दुख भोगना ही पडता है । ज्योतिष से जुडे हुए लोगों से पूछ कर देखें प्रत्येक शनि साधक या साध्वी सदैव आक्रांत रहता है । कारण स्पस्ट है शनि के नाम पर भयंकर लूट खसोट जारी है । इसमें गलती 99 प्रतिशत हमारी है जो आपके विचारों से सहमत हुए बिना ही अकारण डरते हैं नीबू बांधते हैं, पुतली लटकाते हैं । प्राचीन ज्योतिष ग्रंथों में कही भी ऐसे निवारण उपाय नही दिये गये है फिर भी लोग फंसते हैं तो क्या किया जा सकता है । धन्यवाद ऐसे लेख दैनिक समाचार पत्रों में भी प्रकाशित होने चाहिए ताकि लोगों के आंख खुल सके ।36solutionshttps://www.blogger.com/profile/03839571548915324084noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8991622950326641568.post-26008805276116507332007-06-16T19:31:00.000+05:302007-06-16T19:31:00.000+05:30बात तो आपकी ठीक है, लेकिन एक बात और जान लें : ग्रह...बात तो आपकी ठीक है, लेकिन एक बात और जान लें : ग्रहों में इकलौते और सच्चे जी तथा सही मायने में प्रगतिशील शनि ही हैं. अपने खाने-पीने के जुगाड़ में पंडित-पुजारी चाहे जो कह रहे हों, बेहतर होगा कि थोडा प्राचीन भारतीय वाङ्ग्मय उठाकर देखें और इन काव्यात्मक कृतियों में प्रयुक्त बिम्बों और प्रतीकों को आज के वैज्ञानिक नजरिए से खोल कर देखें. सारे वैचारिक दुराग्रहों और धार्मिक रुढियों से मुक्त हो कर. मजा आ जाएगा. <BR/>शनैश्चराय नमःइष्ट देव सांकृत्यायनhttps://www.blogger.com/profile/06412773574863134437noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8991622950326641568.post-85038209042682470262007-06-16T19:04:00.000+05:302007-06-16T19:04:00.000+05:30मन से कभी भी नहीं हारना चाहिये.मै ज्योतिष की अवमान...मन से कभी भी नहीं हारना चाहिये.मै ज्योतिष की अवमानना नहीं करना चाहता(क्योंकि किसी भी विषय के विरूध्द तब बोलना चाहिये जब आप उसके बारे में जानते हों)लेकिन मैने तो देखा और महसूस किया है कि शनिवार को तन और मन की उर्जा कुछ ज़्यादा ही बढी हुई होती है.मै इतना ज़रूर जानता हूं कि एक अदृश्य शक्ति है जो हर लम्हा आपके लिये शुभ ही शुभ कर रही है.क्योंकि कहीं पढा़ था कि ईश्वर कभी किसी का बुरा कर ही नहीं सकता.sanjay patelhttps://www.blogger.com/profile/08020352083312851052noreply@blogger.com