Tuesday, March 6, 2007

पोस्टे‌‌‌‌ ही पोस्टे - केवल लिखे, मिले नही


भारतीय रेल मे सवार होकर दिल्ली छोडते हुए ,जहा जगह मिले वही‍ लिखा मिलता है-रिश्ते ही रिश्ते,मिले या लिखे। कुछ ऐसा ही हाल है ब्लाग्स का. सभी को कुछ लिखना है सो लिख रहे है इसलिए एक हमार ब्लाग भी चल निकला है तो नियमित रूप से पोस्टियाने का कर्त्तव्य बनता है.अब जैसे ही लोग अपना ब्लाग छोडे वैसे ही उन्हे देखने को मिले- पोस्टे ही पोस्टे.तबही तो मज़ा आए .कल हिन्दी ब्लागरो ने हमारा बहुत स्वागत किया. हम सच कहू, तो डर गए है. तो ""गुरु"" लोग को नमस्कार! अब देखिये आज की मुक्त आलोचन के युग मे "गुरु" का क्या अर्थ है यह मै तय लेखक के हाथ मे तो है नही, सो ह्म कितना भी कहे कि यह "गुरु " लीडर या सरगना वाला नही, यह "गुरुकान्त देसाई"[मनि रत्नम] वाला भी नही, TV सीरियल [नुक्कड] वाला भी नही,और न ही यह सिद्धू जी वाला है तो आप भला मान जायेन्गे क्या? मानना भी नही चहिये.यह मानने का ज़माना नही है। यह मनवाने का ज़माना है।तो "गुरु" .........!

9 comments:

सोमेश सक्सेना said...

बिल्कुल पोस्टियाते रहिए जी, कमेंट्स का क्या है, वो तो मिलते ही रहेंगे। आप भी गुरू बनिए जल्दी फिर हम कहेंगे- "गुरू हो जा शुरू"

मसिजीवी said...

चलिये आपकी गाडी भी स्टेशन से चल निकली बधाई

संजय बेंगाणी said...

लिखना तो नशा है, इसे अनर्गल प्रलाप न माने :)

Divine India said...

थोड़ा धैर्य थोड़ा विश्वास!!!मर्म है बस यही… डरने ख़ि जरुरत नहीं लिखना ज्यादा आवश्यक है!!!अब चाहती हैं गुमनामी को भी छोड़ना और दिखना भी नहीं चाह्ती तो कैसे चलेगा…बस मस्त हो लिखिए यहाँ बहुत पाठक हैं!!

Jitendra Chaudhary said...

हिन्दी चिट्ठाकारी मे स्वागत है। किसी भी परेशानी आने पर हम सिर्फ़ एक इमेल की दूरी पर है।

यहाँ पर कोई गुरु नही है,
गुरु गुड़ ही रहे, चेले चीनी हो गये।

तुम लिखे रहो, बिन्दास, नोटपैड पर नोटपैड भरे रहो। टिप्पणी की चिन्ता मत करो। ये इत्ते ब्लॉगर है ना, इनको भी तो टिप्पणी चाहिए ना, आएंगे नही तो जाएंगे कहाँ। यानि टिप्पणी दो और टिप्पणी पाओ। अब देखो कित्ती टिप्पणी हो गयी, गिनो जरा, और तुमने कित्ती की? वो भी गिनना।

Udan Tashtari said...

गिनती गिनी जा रही है, तो इसे भी जोड़ लो! :)

सुजाता said...

जितेन्द्र जीआप चिन्ता न करे. हम तो बिन्दास है बिन्दास लिखेन्गे.और फ़िर महशक्ति वाला टिप्पणी पाने का जुनून भी नही है

Sagar Chand Nahar said...

फ़िर महशक्ति वाला टिप्पणी पाने का जुनून भी नही है
सुजाता जी हमें भी बहुत जुनून है, टिप्पणीयों का सो आप सबसे कह देवें की notpad पर लिखे लेखों की टिप्प्णीयाँ दस्तक पर दे देवें। :)
स्वागत है सुजाता आपका,
आपका बिन्दास्त लेखन अच्छा है, उम्मीद है और भी बिन्दास्त पढ़ने को मिलेगा।
धन्यवाद
॥दस्तक॥

Pramendra Pratap Singh said...

फ़िर महशक्ति वाला टिप्पणी पाने का जुनून भी नही है
इसके बारे में जानना चाहूँगा कि आपने किस सन्‍दर्भ में कही थी। समय मिले तो व्‍यक्तिगत ईमेल से बताने का कष्‍ट कीजिऐगा :)

हैप्‍पी दीवाली