Tuesday, February 5, 2008

ब्लॉगिंग और पाब्लो नेरुदा पढने में कोई फर्क नही है ....

शॉपिंग के लिए जाती औरतें ,करवाचौथ का व्रत करती औरतें , सोलह सोमवार का उपास करती औरतें , होली पर गुझियाँ बनाती औरतें , पडोसिन से गपियाती औरतें -- अजीब नही लगतीं । बहुत सामान्य से चित्र हैं । लेकिन व्रत ,रसोई,और शॉपिंग छोड कर ब्लॉगिंग करती या पाब्लो नेरुदा पढती औरतें सामान्य बात नही । यह समाजिक अपेक्षा के प्रतिकूल आचरण है। आपात स्थिति है यह । ब्लॉगिंग और नेरुदा पति ही नही बच्चों के लिए भी रक़ीब हैं । यह डरने की बात है । अनहोनी होने वाली है । सुविधाओं की वाट लगने वाली है । स्त्री क्यो इतना डराती है ? पहले ही समाज कितना डरता है ?यदि उसने अपनी असंख्य सम्भावनाओं को एक्स्प्लोर कर लिया फिर क्या वो बन्ध कर रहेगी एक परिवार ,पति प्रेमी से ? फिर क्यों पकवान बना बना तुम्हें पेट के रास्ते रिझाएगी ?उसने आइना ढूंढ लिया तो अनर्थ हो जाएगा । डरो ,डरो ,स्त्री से । उसका डर ही तुम्हे हिंसक बनाएगा । क्योंकि तुम उसे नही बान्ध पाए तो तुम्हे बन्धना होगा ;वह तुमसे ऊंचा उडने लगेगी ।उसे अपनी जगह ,अपना कमरा , अपना आउटलेट मत दो । अपना कुछ मत दो । सम्पत्ति भी नही ,संतति भी नही । एक म्यान में दो तलवारें कैसे भी नही रह पाएँगी । सृष्टि का आधार नष्ट हो जाएगा ।
उसे समझाओं ....ब्लॉगिंग सिर्फ कृष्ण प्रेम की कविताएँ चेपने के लिए है ,रेसिपी लिखने के लिए है ,विमर्श करने के लिए नही । किताबें सिर्फ पढने के लिए हैं ,उनसे ज़िन्दगी नही चलती । इसके लिए किताबी दुनिया और असल दुनिया में अन्तर बढाओ , फासले पटने मत दो । तुम समझते नही हो , दिस इज़ अ सीरियस मैटर ।

6 comments:

Pratyaksha said...

डर लोगों में अजीबोगरीब रियेक्शंस पैदा करता है । कुछ तो दिखा अभी पिछले दिनों में ..आगे और भी । उम्मीद है मुद्दों की सार्थकता और संतुलन हम बनाये रहेंगे । अच्छा लिखा ।

मसिजीवी said...

hey...forget blogging...

women are getting serious, it is a 'serious' matter in itself.

काकेश said...

woman and seriousness ..why joking man... ;-)

लेकिन यह मजाक का विषय़ नहीं विचार का विषय है लेकिन इसकी सफलता इसी में है यदि हम यह मान लें कि स्त्रियों का ऊपर उठना पुरुषों का नीचे गिरना नहीं वरन समाज का ऊपर उठना है..और यही सोच भी होनी चाहिये...

Rachna Singh said...

रास्ता बन गया है , कारवां की तलाश है ???
http://sandoftheeye.blogspot.com/2008/02/blog-post_04.html

जेपी नारायण said...

पाब्लो नेरूदा के बारे में इससे गंदा कमेंट और क्या हो सकता है?

neelima garg said...

It's really searious...women thinking seriously ..over blogs..giving their views openly....seems revolutionary...