वैसे आज सुबह सुबह जब याद आया कि आज मेरी चिट्ठाचर्चा करने की बारी है तब इस बात का आभास भी नही था कि आज क्या घपला होने जा रहा है । हम दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर बैठे चर्चा करने ,अभी 6 पंक्तियाँ ही लिखी थी कि हमारा लाडला नीन्द से जागा और मुझे कम्प्यूटर पर देख तुनक उठा - सारा दिन यही करती रहती हो । अब मुझे गेम खेलने दो ।
उसके तेवर देख मुझे अनिष्ट की कुछ आशंका तो हो गयी थी । पर मैने काम जारी रखा ।इससे वह चिढ गया । वह टेबल पर चढा और दूसरी तरफ खिडकी तक पहुँचने का यह मुश्किल रास्ता जान बूझ कर अपनाया । इससे दो काम हुए । पहला उसने की बोर्ड का कंट्रोल +एस दबाया और तुरंत मॉनिटर को भ्री हिला दिया जिससे स्क्रीन पर से सब गायाब हो गया। [मेरा पी सी बडा नाज़ुक है ,कमसिन तो नही , पर ज़रा हाथ इधर-उधर लगते ही कुछ ना कुछ खराब हो जाता है और नाज़ - नखरे वालाभी । तैयार होने में बहुत वक्त लेता है ]।:)] खैर अब चिढने की बारी मेरी थी। मैने उसे ज़ोर से डाँटा ,हालाँकि अभी बडा सदमा लगना बाकी था वह अब तक मेन स्विच ऑफ कर चुका था । अब महासंग्राम जो छिडा वह क्या बयाँ करूँ ..........
खैर थोडी देर में सब दोबारा चालू किया तो पाया कि वह 6 लाइना चर्चा पब्लिश हो चुकी । उसे डेलीट किया ।
और शाम 3 बजे जब तक सपूत सोया हमारा संग्राम चला । हम फिर लिखने बैठे चर्चा । भागते भागते ।अबकी पब्लिश करके नारद देखा तो दंग रह गये । वह 6 लाइना चर्चा वहाँ उपस्थित थी ।पर एरर 404 के कारण नही खुल रही थी । पर बात सिर्फ यह ही नही थी । हम और भी ज़ियादा हैरान हुये जब देखा कि आज के लोकप्रिय लेखो में वह 44हिट लेकर दूसरे नम्बर पर थी , शायद अब तक पहले पर आ गयी हो । यह क्या माया थी ? अभी वास्तविक चर्चा को 3 हिट मिले है और उस गलती को लोकप्रिय चिट्ठो में जगह मिली है ।
खैर आज के पूरे प्रकरण से दो नतीजे निकले ----- चिट्ठाचर्चा नितान्त अकेलेपन और शांति में करो और दूसरी , ज़्यादा ज़रूरी , बच्चों की छुट्टियों का मतलब आपकी "छुट्टी " :(
पहली चर्चा के लिये खेद :(
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8 comments:
अर्रे, आपको नहीं मालूम इत्ती हिट्ट कैसे मिली.
हर किसी ने बार बार लगातार देखा कि सुजाता जी ने शायद अब्बी की अब्बी चर्चा अपलोड कर दी हो.
कम से कम सात बार तो हमने ही देखा होगा.
धुरविरोधी जी के साथ ४ हमारी भी जोड़ लो. :)
5-6 मेरी भी थीं। (बहती गंगा मे हाथ धोने मे क्या जाता है? आख़िर किसे पता चलेगा :D )
हम भी कई बार चक्कर लगाये थे जी आपके घर के ... विश्वास ना हों गली के कुत्तों से पूछ लें ..
3 बार तो अपन ने ही झांक झांक के देखा कि शायद कुछ दिख जाए!
चलिये अंत भला तो सब भला। मैं आपका दर्द समझ सकता हूं। कम से कम दस बार ऐसा हुआ जब पूरी की पूरी चर्चा उड़ गयी। अपनी गलती से। :)
लो और हमे लग रहा था की हम ही नही पढ़ पा रहे है।
Notepad जी आपके स्वागत के लिए धन्यवाद!
कृपया कर मेरी एक सहायता कीजिए - Blogger display name के साथ फ़ोटो कैसे डालना है?
कवि कुलवंत
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