शनिवार का दिन हमें प्रिय है । इसलिये नही कि हम शनि देव के भक्त हैं बल्कि इसलिये कि अगला दिन बिना भूल रविवार ही होता है :)
खैर , जैसा कि हमने पहले भी एक बार घोषित किया था कि शनि देव आज के सबसे पॉपुलर देवता हैं,भक्त आक्रान्त हैं और ज्योतिषाचार्य मज़े में । मीडिया भी उसे पॉपुलर बनाने में पूरा सहयोग दे रहा है । आज दो प्रमाण और मिले । एक खबरिया चैनल शनि और मंगल के सन्युक्त प्रभाव पर न्यूज़ बना रहा था। (शनि और मंगल ....सोचिये ? है ना खबर ? ) तो आज का हिन्दुस्तान टाइम्स शनि को विलेन नही मित्र मानने की सलाह दे रहा है “Why Shani is good for us “और कारण भी बता रहा है
“so instead of blaming Shani, it makes better sense to think of him as a friendand teacher who helps us learn important life lessons from whatever befalls us,lesson that he teaches best because there is no humbug about Shani. He gives it to you straight and says “come on now,deal with it “
शेखर एक जीवनी में कभी पढा था कि जो चीज़ भय उपजाती है उसका बाह्य चाम काट डालो ताकि उसका भीतर का घास फूस बाहर बिखर जाए जैसे बालक शेखर उस फूस भरे बाघ के साथ करता है जिसके भय से वह कई रात सो नही पाया था ।
सो हमारी तरह आप भी शनिवार को अब वह सब कुछ करना आरम्भ कर दीजिये जो जो प्रतिबन्धित है , डर अपने आप खत्म हो जाएगा । कम से कम जीवन में कुछ् चीज़ें तो हम सरल बना ही सकते हैं जो हमारी सामर्थ्य के भीतर हैं और बुद्धि के बस मे हैं !आधुनिकता ने हमें तर्क और सन्देह के हथियार दिये तो कमसे कम आधुनिकता का अर्थ जानने समझने वालो को तो शनि भय नही सताना चाहिये :)
अंत में मेरा मुहाविरा ----a smiley speaks better than words :)
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8 comments:
मन से कभी भी नहीं हारना चाहिये.मै ज्योतिष की अवमानना नहीं करना चाहता(क्योंकि किसी भी विषय के विरूध्द तब बोलना चाहिये जब आप उसके बारे में जानते हों)लेकिन मैने तो देखा और महसूस किया है कि शनिवार को तन और मन की उर्जा कुछ ज़्यादा ही बढी हुई होती है.मै इतना ज़रूर जानता हूं कि एक अदृश्य शक्ति है जो हर लम्हा आपके लिये शुभ ही शुभ कर रही है.क्योंकि कहीं पढा़ था कि ईश्वर कभी किसी का बुरा कर ही नहीं सकता.
बात तो आपकी ठीक है, लेकिन एक बात और जान लें : ग्रहों में इकलौते और सच्चे जी तथा सही मायने में प्रगतिशील शनि ही हैं. अपने खाने-पीने के जुगाड़ में पंडित-पुजारी चाहे जो कह रहे हों, बेहतर होगा कि थोडा प्राचीन भारतीय वाङ्ग्मय उठाकर देखें और इन काव्यात्मक कृतियों में प्रयुक्त बिम्बों और प्रतीकों को आज के वैज्ञानिक नजरिए से खोल कर देखें. सारे वैचारिक दुराग्रहों और धार्मिक रुढियों से मुक्त हो कर. मजा आ जाएगा.
शनैश्चराय नमः
नीलांजम समाभाषं रवि पुत्रं यमाग्रजम छायामार्तण्ड संभूतं तं नमामि शनैश्चरं । ज्योतिष ग्रंथों में शनि ग्रह को न्याय का देवता कहा गया है जो भी इसके आड में अन्याय करता है उसको देर सबेर दुख भोगना ही पडता है । ज्योतिष से जुडे हुए लोगों से पूछ कर देखें प्रत्येक शनि साधक या साध्वी सदैव आक्रांत रहता है । कारण स्पस्ट है शनि के नाम पर भयंकर लूट खसोट जारी है । इसमें गलती 99 प्रतिशत हमारी है जो आपके विचारों से सहमत हुए बिना ही अकारण डरते हैं नीबू बांधते हैं, पुतली लटकाते हैं । प्राचीन ज्योतिष ग्रंथों में कही भी ऐसे निवारण उपाय नही दिये गये है फिर भी लोग फंसते हैं तो क्या किया जा सकता है । धन्यवाद ऐसे लेख दैनिक समाचार पत्रों में भी प्रकाशित होने चाहिए ताकि लोगों के आंख खुल सके ।
मलूम नही शनि के बारे मे इस प्रकार का दर क्यों बैठ गया है. लोग सडे साती से दरते है. तरह के किस्से प्रचलित है साडे साती के बारे में ।
हकीकत मे हमारे जीवन काल के तीस वर्ष मे हमारा एक बार साडे साती से पाला पदता है। अब जब साडे साती हमारे जीवन की एक एसी हकीकत है तो डरना क्या ।
हमारा मान्ना है कि शनि ऎक सुनार है, जो हमे भट्टी मे डाल देता है. सब बेकार का जल जाता है और जो बचत है वो २४ केरट का सोना होता है। और यह सोना बनने का अव्सर हमारी जिंद्गी मे एक से ज्यादा बार आता है ।
पहले यह बताएँ कि शनिवार को क्या-क्या नहीं करना चाहिए? तभी तो वह सब किया जा सकेगा।
:) सही है।इसी बहाने आपकी पोस्ट दिखी!
पहले घर देख और मेरा सनीचर उतार,
:) This will speak better than words. :)
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