Friday, July 13, 2007

हैरी पोटर का बाज़ार और फीनिक्स का ऑर्डर !!


हरी पुत्तर का बाज़ार फिर से गर्म है और जे के राउलिंग ने इस महान सीरीज़ के आखरी सातवें उपन्यास को 21 जुलाई को बाज़ार मे उतारने का फैसला कर लिया है ।किताब से फिल्म की ओर बढी हरी पुत्तर की क्रेज़ ने मास हिस्टीरिया की स्थिति अख्तियार कर ली है ।जादू और अय्यारी का एक युग शुरु हुआ था चन्द्रकांता के साथ ।उसे बीते एक शताब्दी हो गयी है ।चन्द्रकांता ने आरम्भिक अवस्था के हिन्दी गद्य का बडा उपकार किया था।पर उस तिलिस्म से निकलने मे हिन्दी की रीतिकालीन प्रवृत्तियों को काफी समय लगा कि यहा फिर लौट कर आयी है जादू और फंतासी लेकर हैरी पोटर !पर चूंकि यह पस्चिम का तिलिस्म है सो इसे बकवास नही माना जाए प्लीज़ ! ।ढेर् सारा थ्रिल्ल और एडवेंचर के साथ साथ इस बार हैरी पोटर मे रोमांस को भी एड कर दिया गया है ।यानी 18 वर्षीय हीरो का पहला किस्स ऑर्डर ऑफ फेनिक्स मे मिलेगा ।आखिर हैरी अब बडा हो गया है ।और वैसे भी वह सिर्फ बच्चो की पसन्द नही है बलकि25-26 वर्षीय युवा भी उसके दीवाने है।शायद उन्ही के लिए यह किस खास तौर से रखी गयी है ।यूँ भी हैरी पिछले 8-10 वर्षो मे युवा हो गया है।तो यह स्वाभाविक ही था ।इसलिए जहा तक यह कहा जा रहा है कि यह किताब की फिल्म जगत पर विजय है तो मुझे कहना होगा कि फिल्म और किताब दोनो का गठबन्धन करने वाले बाज़ार और इसका प्रसार करने वाले संचार-तंत्र की विजय है यह । यह दीवानापन ,कहना पडेगा कि साफतौर पर मार्किट जेनेरेटिड है ।जिस देश के लोग सुनीता विलियम्स को ज़बर्दस्ती भारतीय मान कर माथे पर उसका नाम गुदवा सकते है वे बाज़ार या मीडिया जेनेरेटिड किसी भी क्रेज़ मे गर्व से शामिल होते हैं ।हैरी का विज्ञापन करने मे कोई पीछे नही है ।एच ,टी ने अपना एक पूरा पृष्ठ समर्पित् किया है हैरी को । हैरी पोटर क्विज़ ,हैरी पोटर टी शर्ट ,हैरी पोटर की जादुई छडी ,पोस्टर ...और न जाने क्या क्या 1पूरा बाज़ार हैरी मय है ।हैरी को पढना उसकी शब्दावली से परिचित होना और उसकी लेटेस्ट फिल्म देखना बच्चो के बीच स्टैंडर्ड का मुद्दा है ।यह अमरीका की मुख्यधारा मे सीधा शामिल हो जाने का सिम्बल है ।आप हैरी पोटर नही पढते तो आप पिछडे हुए ,गंवार आउटडेटिड् हैं ।हम तो अब तक भी मिट्टी के ढेले और आमकी पत्ती की कहानी सुना रहे है । हाफ ब्लड प्रिंस ,वोल्देमोर्ट डम्बल्डोर हर्माइनी कैसे कैसे नाम !पुनर्निवास कालोनी मे बने किसी सरकारी स्कूल् के बालक से पूछ लीजिए कौन है हैरी पोटर ?
इतने बडे स्तर पर जे के राउलिंग का बाज़ार मुझे हमेशा से हैरान करता रहा है । क्या वाकई हैरी पोटर एक महान धारावाहिक उपन्यास है ?

13 comments:

काकेश said...

हम तो पिछडे हुए ,गंवार आउटडेटिड् हैं.अभी तक हैरी को पढ़ा नहीं सिर्फ सुना है लोगों के मुख से तारीफों के साथ.

Neelima said...

हम भी काकेश जी वाली श्रेणी में हैं अब का कहें ..

चंद्रभूषण said...

सुजाता जी, यह महान रचना है या नहीं, इसका फैसला इतिहास करेगा, लेकिन इसके अबतक प्रकाशित छहो खंडों से मेरी वाकफियत है और मेरे बच्चे के अलावा मुझे भी यह अच्छा लगा। क्यों, यह बताने के लिए मुझे ज्यादा स्पेस की जरूरत पड़ेगी। यहां संक्षेप में इतना ही कह सकता हूं कि महानगरीय समाजों में बच्चे जिन भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक मुश्किलों का सामना कर रहे हैं, उन्हें यहां रचनात्मक ढंग से पकड़ा गया है। पढ़ते हुए तमाशा देखने जैसा अनुभव नहीं होता। आप हर कदम पर इससे रिलेट करते हैं। इसपर बनी फिल्मों की बात और है। उनमें से मैं सिर्फ तीसरी को छोड़कर बाकी किसी से ज्यादा प्रभावित नहीं हुआ।

Anonymous said...

यदि इन फिल्मों से हैरी पॉटर का नाम न जुड़ा होता तो ये चार सेन्ट का भी धंधा नहीं कर पातीं। इतनी घटिया फिल्में मैंने आज तक नहीं देखीं, जिनमें अभिनेता रोबॉट की भांति अभिनय करते हैं, कहानी इतनी संशोधित की हुई होती है कि जिसने किताब न पढ़ी हो उसको तो पल्ले कुछ पड़े ही न और जिसने पढ़ी हुई हो उसको सारा टैम खीज होती रहे!!

"लॉर्ड ऑफ द रिंग्स" से भी वार्नर ब्रदर्स स्टूडियो को सबक नहीं मिला कि फिल्म कैसी बनाई जाए!! इसलिए अपन तो किताब पढ़कर ही संतुष्ट हैं।

Sanjeet Tripathi said...

हम भी गंवारों की लाईन में ही खड़े हैं जी। ना किताब पढ़ी है ना ही फ़िल्म देखी है। हां हमारे भतीजे दीवाने है इनके!!

सुजाता said...

काकेश जी नीलिमा जी और सन्जीव जी स्थिति मेरी भी यही है ।बस एक फ़िल्म देखे थे इसकी जब बच्चा टीवी पर देख रहा था ।तभी ऐसे सवाल उठे थे ।चन्द्रभूषण जी ज़रा विस्तार से बता ही देते ।अपने चिट्ठे पर ही सही ।अमित जी ,मेरा भी कुछ ऐसा ही ख्याल है ।पर ज़्यादा ग्यान न होने से ठीक से गरिया भी नही पा रही :)

मसिजीवी said...

हम्‍म...
बताएं कि पहिले ही पता चल गया कि हम किस श्रेणी से हैं।

Udan Tashtari said...

युवा तो हम भी हैं मगर हैरी बाबू से दूर-एक बस २० पन्ना पढ़े और हार गये. :) जबकि पिछड़े, गंवार, आउट्डेटिड मित्रों के साथ भी स्टेन्डर्ड मेन्टेन किये हैं. :)

Anonymous said...

आपने बोधिसत्व को स्त्री-विमर्श का इतिहास नहीं बताया । और यहाँ हरी-पुत्र पर लगी हैं । क्या हुआ आप के स्त्री-विमर्श-ज्ञान को।

Anonymous said...

हमें ये चंद्रकांता संत्तति का आधुनिक और बच्चों को लेकर लिखा रूप लगता है, वक्त वक्त की बात है देवकी नंनदन खत्री ने इस तरह की किताब वक्त से बहुत ही ज्यादा पहले लिख दी थी। दूसरा अंग्रेजी का पाठक वर्ग कहीं ज्यादा है और इधर लोगों में पढ़ने का शौक बहुत होता है।

Yunus Khan said...

ऐसी फिल्‍में और किताबें पढ़ने देखने की ना तो तमन्‍ना है और ना ही फुरसत । अपन को तो इनके चमत्‍कारों से ज्‍यादा अच्‍छी लगती है चंद्रकांता सं‍तति या भूतनाथ की ऐय्यारी ।

चंद्रभूषण said...

Dear yunus, Khatriji ko maine bhi thoda-bahut padha hai. Kya hai ki kautuk ki apni seema hoti hai. Bad me aap use yadi padhen to samajshastriy nazariye se hi padh paate hain. Rowling popular hain lekin kautuki nahin hain. Ek teepdaal rakhi hai, padhkar bataaiyega. Sujataji aap bhi..

tejas said...

आपका द्रिश्टिकोण बुद्धिजीवी है और मैं एक सीमा तक सहमत हूं। कुछ वर्ष पहले मुझे भी बहुत कौतूहल उठा तो मैने लगभग सारी पुस्तकें और सिनेमा देख डाला। थोदा आश्चर्य हुआ पर मुझे आनन्द आया। किताबें बेहतर हैं…॥

जहां तक चन्द्रकान्ता का प्रश्न है तो सामयिक्ता को नकार नही सकते। हरी आज की भाषा बोलता है, खुद बहुत मजेदार सम्वाद नही बोल्ता पर उसके मित्र बोलते हैं। उसकी मित्र मन्डल्लि का चरित्रीकरण भी अच्छा है। अमरीका कि जिस पीडी ने हरि को पडा है, औसतन बेह्तर comprehension skill है। अब आप येह न समझ लें कि मेरा इसमें कोई वय्वसयिक लाभ है…वैसेए हुम भी कुछ समय पहले तक अपने को बुद्धिजीवी मानते थे…अब सिर्फ़ बुद्धूजीवी मानते हैं