Monday, December 17, 2007

आप कितने खाली, बेकार,आवारा, बेचैन और दीवाने हैं..?

आप कितने खाली, बेकार,आवारा, बेचैन और दीवाने हैं..? वक्ट काटना आपके लिए एक बडा प्रश्न है ?
तारे गिन गिन कर रात गुज़ारने वाला मुहावरा सुना ही होगा ? क्या ऐसी नौबत आई है आपकी ज़िन्दगी में कि कुछ करणीय न बचा हो और आपको सही सलामत पायजामा फाड कर फिर से सिलना पडा हो या घर आंगन में ज़ूँ-ज़ूँ करती मक्खियाँ मारनी ,उडानी पडी हों ?या फिर क्राइम रिपोर्ट देती क्रिमिनल looks वाली या वाले प्रेज़ेंटर को देखना पडा हो ? या वक्त का गला घोंटने के लिए कुचक्री सीरियल देखने पडे हों?
अगर आप वाकई इतने खाली, वेले टाएप इनसान हो तो आपके लिए टाइम किल्लिंग का एक नया आइडिया इन दिनों टीवी पर आ रहा है जो केवल टाइम ही नही धन की भी हत्या करेगा और यह भी साबित कर देगा कि इस दुनिया में सबसे ज़्यादा खाली,बेकार,आवारा,पागल,दीवाना ....कौन है ? सबसे पहले 50 रुपए का कोलगेट मैक्स फ्रेश लें और फिर उसके ट्रांसपेरेंट ट्यूब में से यह गिनें कि कितने कूलिंग क्रिस्टल्स हैं .... इनाम क्या है नही सुन सके क्योंकि यह धाँसू च फाँसू [आलोक जी की भाषा में] आइडिया सुनने के बाद इन कानों मे कुछ और सुनने की शक्ति न बची । ज़ाहिर है कि ट्यूब के अन्दर से ही क्रिस्टल्स नही गिने जा सकते भले ही वह पारदर्शी ट्यूब हो [एक भी गिनती गलत तो इनाम नही] तो गिनने वाला पहले बडी सावधानी से ट्यूब खाली करेगा और फिर ...... वैसे मेरी चिंता यह है कि पेस्ट को वापिस तो ट्यूब मॆं डाला नही जा सकता [वैसे एक ट्रिक मै ऐसा जानती हूँ] तो क्या निकाला गया पेस्ट किसी कटोरी, डब्बे इत्यादि में रखा जाएगा ? जो भी हो,, टी वी और बाज़ार ने समझ लिया है कि उसके सामने बैठा व्यक्ति निठल्लों की प्रजाति का है जिससे कुछ भी अगडम बगडम अपेक्षा की जा सकती है ।

7 comments:

अविनाश वाचस्पति said...

संभव है सब कुछ। आप ट्यूब से पेस्ट निकालिएगा हम डालकर दिखा देंगे। पांच नंबरी जो ठहरे। नंबर तो आपके भी पांच हैं। आपने 14 दिसम्बर को स्वीकार किया था। आज का नवभारत टाइम्स पढ़ेंगी तो हमारे नंबर वहां भी पैदल चलते नजर आएंगे। मुझे मेरे नंबर 9868166586 पर बता सकती हैं।

विनीत कुमार said...

leisure period par adorno ki puri theory hai, bekari aur leisure period ke beech media kaise punji paida karti hai, samjha ja sakta hai

Sagar Chand Nahar said...

उपभोक्तावाद इन कंपनियों से जो ना कराये वही कम है..

गीतों की महफिल

Neelima said...

हमने पेस्ट निकाल ली है ! गिनती भी कर ली है! पर अब वह वापस नहीं भरी जा रही है!अब तो वह बेकार जाएगी और नई ही खरीदनी पडेगी न !:)

ghughutibasuti said...

अरे यह क्या। बेकार बरबाद कर रही हैं । सुबह सुबह एक ब्लॉगर मिलन रख लेती सब मिलकर ब्रश करते ।
घुघूती बासूती

विनीत कुमार said...

hamare hostel pahucha jaayae, aane-jaane ka bhada mil jayaega.

पुनीत ओमर said...

वैसे आपका ये वाला लेख पढने वालों में जो भी लोग हैं.. (मुझे मिला कर, क्यों की मैं तो हमेशा ही आपके लेख देर सबेर पढ़ ही लेता हूँ ) मुझे संदेह है की इन लोगों ने ये सरे तरीके आजमाये होंगे, और जब कुछ भी न बचा होगा करने के लिए, तब आपका लेख पढ़ा होगा. :-)