इसकी देखभाल करते सैनिक सुबह शाम मिले । ज़्यादातर समय सैनिको को सफाई करता देख हमसे रहा न गया और राज़ पूछ डाला। 20 अप्रैल को वहाँ निरीक्षण होना था । अपने विद्यालयी दिन याद आ गये। पहले भी एक फोतटो मे झाडू लगाता सिपाही दिखा था ।हम हैरान थे ,जिस अनुशासन से हम स्कूल मे भी भागे फिरते थे ,तंग थे ; वह अनुशासन इन्हे सेवानिवृत्ति तक मानना होता है । इन्ही से देश है भई ।!
पिछ्ली कडी मे जो ऐतिहासिक चित्र थे वे सब इसी चर्च मे रखी पुस्तक मे से थे । उस पुस्तक का आवरण भी दिखाया गया था । नीचे के पृष्ठ पर लॉर्ड लैंस डाउन का चित्र है जिनके नाम पर इस स्थान का नाम पडा ।पहले इस स्थान का नाम कलुडांडा था ।साथ मे लिफ्टिनेंट गवर्नर का चित्र भी ।
भुल्ला ताल्
जिसका विकास 2003 मे किया गया क़ैंट द्वारा ही । उससे पहले यहाँ एक नाला हुआ करता था । पर्यटन का विकास तो है ,पर व्यावसायिकता का आडम्बर नही क्योंकी सब कुछ छावनी के हाथ मे है ।
भुल्ला ताल की बत्तखों के साथ हमारे बच्चे ।नीलिमा जी की बेटी ,हमारा बेटा । इनकी बल्ले बल्ले हो गयी थी । नीचे ताल मे तैरती बत्तखें ।
हर स्थान पर प्यार करने स्थान मिल ही जाते हैं और कभी कभी नाम भी वैसे ही पड जाते है ं।नीचे लवर्स लेन का चित्र
यहाँ कोई आता जाता नही । रात मे तो बाघ और गीदड ज़रूर आते जाते हैं ।पास ही जिन महिला का घर है उनकी छतों पर से बाघ रात मे कूद फाँद करते जाते हैं किसी कुत्ते की फिराक में।
3 comments:
बढ़िया चित्र और कमेंटरी. अच्छा लगा.
सुंदर चित्रों की बानगी, जो देखा, अनुभव किया उसे सबको बांटा ।
अपने सम्बंध में जो आपने लिखा है वह दिल को छू गया नश्वर है मैं, शास्वत सत्य है मेरा और मेरा जो है, उसे कुछ बताने कि आवश्यकता नहीं है । साधु, साधु !
बहुत सुन्दर चित्र। अब चित्रा अच्छे है या उनके साथी लिखी कमेन्ट्री, कैसे कहूं, दोनो को बराबर अंक दिए जाते है।
अमां तुमको इन्वीटेशन भेजे इत्ते दिन हुए, चंदे का पार्सल नही आया अभी।
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