अभी फोन पर पता चला कि चिट्ठाजगत को कल जनसत्ता में आने वाली आवरण कथा की सूचना दे दी गई है। कल कोशिश करेंगे कि पूरा लेख पोस्ट हो पाए, वाया मसिजीवी। आज जनसत्ता में छपी सूचना यह है।
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इस ब्लॉग के ज़रिये अपनी कलमघसीटी को ब्लॉगबाजी में तब्दील करने का इरादा है। हम तो लिख्खेंगे, पढ़ना है तो पढ़ो वरना रास्ता नापो बाबा।
9 comments:
सुजाता जी, चलिये आज टाईटिल देख कर संतोष कर लेते हैं कल पूरा पढने को मिल जायेगा। लेकिन आप बधाई आज ही कबूल कर लीजिये, कल फिर से टिका देंगे। :)
जनसत्ता बनारस में नहीं आता तथा ऑनलाइन भी नहीं है इसलिए कल भी आलेख का चित्र दें ।
बहुत ही इंतजार लगवा दिया. ट्रेलर अच्छा चल रहा है. बधाई चिट्ठाजगत पर लिखने के लिये. :)
Bahut badiya bloh hai ji...
बेहतरीन लेख सुजाता जी, हिन्दी चिट्ठों की करीब करीब पूरी जानकारी देने वाले इस लेख के लिए आपको बधाई
सुजाता आपको बहुत बहुत बधाई।
आज आईना पर स्कैन की हुई प्रति देखी पर स्पष्ट नहीं थी सो आप से अनुरोध करता हूँ कि आप इसे टाईप कर अपने चिट्ठे पर प्रकाशित करें।
यार! तुमने तो कमाल कर दिया। अच्छा लिखी हो, आँखे गड़ा गड़ा कर पढे हैं। जितना पढा, उतना पढकर बहुत अच्छा लगा। नोटपैड (सुजाता जी) को बहुत बहुत धन्यवाद। काफी अच्छा कवरेज है। अब चलो जल्दी से इसकी कापी अपने ब्लॉग पर भी चिपका दो। ताकि हमारे जैसे समुन्दर पार बैठे लोग भी इसे पढ सकें।
भई अपने इधर तो जनसत्ता आता ही नही। देश के कई हिस्सों मे नही मिलता तो समुन्दर पार कैसे मिलेगा?
सच तो यह है कि अभी हिन्दी के कदम है, ये तो शुरुवात है। इन्टरनैट पर हिन्दी के सुनहरे भविषय का पहला कदम।
ऐसे लेख इधर कई नामी अखबारों में आ चुके हैं । जनसत्ता ने इसी कड़ी में यह छापकर अपनी भूमिका का परिचय जरा देर से दिया है । ब्लॉग पर केंद्रित आलेख वागर्थ जैसे लघु पत्रिका से लेकर इधर छत्तीसगढ़ राज्य के महत्वपूर्ण अखबार भास्कर, नवभारत, हरिभूमि, नई दुनिया, दैनिक छत्तीसगढ़, मीडिया विमर्श आदि ने आगे छाप कर अपनी तीक्ष्ण दृष्टि का परिचय दे दिय़ा है ।
बहुत शानदार लेख सुजाता जी। बहुत ही संतुलित और विस्तॄत। आपको बधाई और साथ में जनसता को भी जिसने कि इतना स्पेस उपलब्ध कराया।
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