दिल्ली से निकलना आसान काम नही।कई अर्थों में।ट्रैफिक तो भयंकर होता ही है दूसरा समय कम काम अधिक लगते हैं। ऐसे मे कुछ छुट्टियों का मिल जाना राहत देता है ।यहाँ की आपाधापी,तनाव,धूल,गर्मी मे बीच बीच मे मन उचाट हो जाता है ।और सब कुछ छोड् कर भागने का मन करता है।तो हम भी भाग चले कुछ् दिन के लिए ।रास्ते मे पहली बार कैमरा निकालने का मन तब हुआ जब ये नज़ारे दिखने लगे --

इस पेड के खूबसूरती और रंग ने बरबस रोक लिया ।
हाई-वे का रास्ता मज़ेदार है।जब खेत शुरु हओते है
दिल्ली से मोहन नगर - मेरठ रोड - शास्त्री नगर बाई पास{मेरठ नगर मे घुसना खतरे से खाली नही -भयंकर जाम मे फँस सकते हैं} -मवाना रोड - बिजनौर - नजीबाबाद {मवाना से यहाँ तक रात में सफर करना भी समस्याग्रस्त है , क्योंकि मार्ग पर रात मे गन्नोंसे भरे ट्रक, ट्रैकटर,बग्गियों का राज होता है जिन्हे& मवाना चीनी मिल जाना होता है। } - कोटद्वार { पहाडों का द्वार} -दुगड्डा - लैंस डाउन ।
वैकल्पिक रूट है - दिल्ली से मुरादाबाद - नजीबाबाद - फिर वही ।लेकिन यह रास्ता लम्बा है और मुरादाबाद से नजीबाबाद का रास्ता बहुत खराब है ।सडक संकरी है और गड्ढों से भरी।
नीचे उस रास्ते की तस्वीर जिस पर हम चले।यानी मेरठ वाला ।

साइन बोर्ड देख सकते हैं।

पहाडों की पहली झलक । हाँलाकि रोड शहर की तरह व्यस्त है और शोरयुक्त भी। पर सडक को कौन ध्यान दे जब सामने पर्वत खडे हों विशाल ,हरे,सम्मोहक ।दिल्लीवालों के तारन हार ।

यहाँ के बाद हवा बदलना शुरु होती है । वनस्पति रूपाकार बदलती है । अब खिडकी से बाहर मन रमने लगता है । नीचे एक सूखी नदी कोटद्वार से थोडा आगे जहाँ पर्वत के चरण हैं।

शेष अगली कडी में ..........
3 comments:
बढ़िया और रोचक वृतांत-इंतजार है अगली कड़ी का.
सुन्दर !
घुघूती बासूती
सड़क के रास्ते से सफर करने का अलग ही मजा है!
बहुत अच्छी लगीं तस्वीरें!
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