Saturday, June 30, 2007

कृपया अनदेखा करें ...........

ओह तो आपने अनदेखा नही किया ? देख ही लिया । और पढ भी रहे हैं ! अरे रे रे !
वैसे मुझे पता था कि कोई तो ज़रूर देखेगा ही ।मानव की सहज जिज्ञासु प्रवृत्ति में मेरा पूरा विश्वास है ।अनदेखा करने को कहा जाए तो ज़रूर देखेंगे । बहुत दिन से देख रही थी की लोग बाग लिखते हैं “परीक्षण् पोस्ट ; कृपया अनदेखा करें “अभी दो दिन पहले रतलामी जी ने डाली थी । कल नीलिमा जी ने । मुझे रह रह कर मन होता था कि देख ही डालूँ क्या है । और नही तो यह ही पता लगेगा कि क्या परीक्षण किया है ।रतलामी जी की भी पोस्ट नही देखी । मन मसोस कर रह गयी । कुलबुलाहट मची रही ।जैसे पडोस में पडोसी का पडोसी से झगडा हो और मै उपस्थित ना हूँ । या घर में सास -ननद मेरे चुगली कर रही हों और मुझे सुन नही पा रहा हो । या माँ- बाप कमरे में टी- वी बजा रहे हों और बालक को डाँट कर पढने बैठा दिया हो दूसरे कमरे में ।
तो फैसला लिया कि एक हिट ही तो होगी , चल देख ही डाल ,क्या अनदेखा करने को कहा गया है ।
देख लिया । ऐसी राहत मिली जैसी किसी कब्ज़ियाये को हफ्ते भर बाद मिली हो । अब चित्त शांत है मन प्रसन्न् है ,निर्द्वन्द्व है ।
ऐसी हालत हमारी ही नही थी । नीलिमा जी की दो परीक्षण पोस्टो पर अभी तक कुल मिलाकर 30 हिट्स हो चुकी है ।मै समझ सकती हूँ !
तभी विचार आया कि कुछ भाई -बहिनी लोग यौन शिक्षा को न देने के पक्ष में डटे है तो यह तो यह बिल्कुल हमारे जैसी स्थिति हो जाएगी । मत दीजिये ज्ञान ,बालक-बालिकाओं को । सूचना क्रांति का युग है । ज्ञान का विस्फोट हो रहा है । तकनीक का प्रसार हो रहा है । बताइये ,रिलायंस वाले इस बार बुध –बाजार मे रेहडी लगा कर 200 रु. में मोबाइल बेच रहे थे । सो , सूचना किसी की ज़रखरीद लौंडी तो है नही जो ताले में बन्द कर के रख लेगा ।उस पर किसी की मल्कियत नही है । यहाँ छुपाओगे वहाँ मिल जाएगी । न जाने किस रूप में । पोर्न साइट्स है , किताबें , बातें ,सबसे बडा तो टीवी ही है । सो सूचना और तकनीक नही रुक सकती । किस रूप में दिया जाये सिर्फ इस पर आप नियंत्रण रख सकते हैं ।
और यूँ भी लडकियों के प्रति हमारा समाज अधिक क्रूर है ।खास तौर पर निम्नवर्गीय समाज में लडकियों के लिये कुछ तथ्य जानना , कुछ कुंठाओं से मुक्त होना कुछ मिथो से बचना और स्वस्थ जीना सीखना निहायत ज़रूरी है ।उन को यह समझाने की भी ज़रूरत है कि एक गलती पर ज़िन्दगी खत्म नही होती ।अपने घरों में ऐसे अन्धेरे कोने क्यो रचे जाएँ जहाँ पडे हमारे किशोर किशोरियाँ अपनी कुठाओं की ग्रंथियों में गर्क होते रहें ।
कितना बताया जाए ,क्या बताया जाए और कौन बताए यह जानना ज़्यादा ज़रूरी है।

8 comments:

मसिजीवी said...

थोड़ा इधर उधर देख लेना चाहिए....:)

रवि, मिश्राजी, नीलिमा...सब चिट्ठाजगत की ओर रूख कर रहे हैं सो वहॉं चिटृठा अधिकृत करने के लिए परीक्षण पोस्‍ट डालनी पड़ी। इतने लोग 'बस एक मेल/फोन की दूरी पर हैं' पूछ देखतीं, काहे इतनी कब्जियत भोगी ? :)

Arun Arora said...

अब हमारी इतनी हिम्मत कहा ...?जो इतना बडा सा लिखा देख कर भी अन देखा करदे,हम तो वैसे भी आपकी हर पोस्ट को देख करे ही आगे बढते है,क्या पता किसी दिन इत्ते बडे नोट पैड पर कही छोटा सा नोट हमारे नाम का भी हो और हमे खबर ही नाहो इसी आशा मे :)
लेकिन आपने आईडिया अच्छा दे दिया अब हम भी हिट की हीट के लिये अगले चार पाच दिन "प्रायोगिक पोस्ट" पोस्ट करेगे,
:) :) :):) :) :) :) :) :) :) :)

अभय तिवारी said...

नमस्ते सुजाता बहन. बड़े दिनों बाद आप के चिट्ठे पर टिप्पणी कर रहा हूँ..
अनदेखा कर ही नहीं सकता था.. आप की प्रविष्टि की शुरुआती तीन लाइनें किसी को भी पकड़ कर आगे पढ़ने के लिए क्लिक करने को प्रेरित करेंगी.. (हिन्दी ब्लॉग डॉट कॉम पर तीन लाइनें दिखाते हैं ना..)
बढ़िया लिखा आपने.. कहाँ की बात को कहाँ कहाँ से मिला डाला..सही है..

सुजाता said...

मसिजीवी जी ,
अब मेरा इधर उधर देखने का समय आ गया है । स्कूल की छुट्टियां खत्म !:)
अरुण भाए , स्माइली का अत्यधिक प्रयोग सही नही है ।
अभय जी , चिट्ठे पर आने के लिए धन्यवाद । पिछ्ली वाली भी पढें समय मिले तो ।

Udan Tashtari said...

अच्छा है इसी तरीके से बुलवा कर पढ़वाया तो सार्थक. अच्छा लगा पढ़कर...वैसे यह शीर्षक मुझे भी बहुत आकर्षित करता है. अब यह मत पूछना कि कौन सा नहीं करता है? :)

सुनीता शानू said...

मै तो यही देखने आई थी कि चुपके-चुपके क्या लिखा जा रहा है और कह भी रहे है कि अनदेखा करें...:)

Arun Arora said...

देखिये आपसे डर कर हमने इतनी मुस्कुराहट लगाई थी ,कोई बात नही आप इन्हे संभाल कर रखे औए हमारी अगली टिप्पणीयो पर प्रयोग करले.वही से छुडा कर एक यहा चिपका रहा हू :)

Anonymous said...

देखिये अगर हम भी अनदेखा कर देते तो इतनी बड़ी जालसाज़ी कैसे पकड़ पाते.

सुजाता जी, किसी भी तरह की कुलबुलाहट पर सिर्फ़ और सिर्फ़ हमारा याने "विजय वडनेरे" का मालिकाना हक है. और इसे कोई भी किसी भी तरह बिना हमारी परवानगी (या बिना हमारे उल्लेख) के इस्तेमाल नहीं कर सकता.

वैसे अगर आपका बैकअप हमसे तगड़ा है, और आप किसी की गीदड़-भभकियों से नहीं डरतीं तो कृपया इस टिप्पणी को अनदेखा करें...!!