देल्ली के कैफ़े काफ़ी डे मे सबसे पहले पहुचे हम,कुछो को हुआ कनफ़्यूज़न कि कौन सा वाला काफ़ी डे है.कनाट प्लेस मे तीन cafe coffee day है.
आखिर मिल ही गए ब्लागेर भटके हुए. शायद कुछ को आप पहचान पा रहे हो. नही भी पा रहे हो तो क्या फ़र्क पड्ता है भाई! काफ़ी के साथ उठे कुछ मुद्दे। मसलन, हिन्दी ब्लागिन्ग का भविष्य क्या है, ब्लागिन्ग और धनार्जन का सम्बन्ध, ब्लागिन्ग और उससे सधने वाले प्रयोजन,ब्लागिन्ग की आचार सहिता का सवाल, ब्लागिन्ग का मीडिया व अन्य जन माध्यमो के विकल्प के रूप मे पहचान.
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" मै और खाली चा की प्याली...."
कनाट प्लेस के central park मे अनौपचारिक वार्ता.
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12 comments:
यह आपने सही किया कि चित्र लगा दिये यहां। खैर चिठ्ठाकार मिलन का क्या निष्कर्ष रहा कुछ बताया नही आपने
अच्छा रहा वृतांत... :)
भेंटवार्ता के बारे में पढकर अच्छा लगा
बढ़िया है। फोटो तो अच्छे हैं। विवरण कंजूसात्मक है।
बात से बात निकलती है और मुलाकातों से आपसी समझ बढ़ती है। धीरे-धीरे परिपक्व होती हिंदी चिट्ठाकारी परिवार के लिए आपस में इस तरह के मिलन इसका भविष्य तय करने में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभायेंगे।
बहुत अच्छे. ऐसे आयोजन होते रहें ऐसी कामना
सही है,
विवरण थोड़ा और ज्यादा लिखना चाहिए था।
सबसे ज्यादा जरुरी है मिलना। एक दूसरे की बात सुनना। मिलेंगे, बैठेंगे समझेंगे तो धीरे धीरे मुद्दों पर सहमति बनती जाएगी।
चलो, अब फिर से तैयारी करो, हम जून/जुलाई मे इन्डिया आ रहे है, सभी चिट्ठाकारों की एक बार फिर बैठक करेंगे।
मैं इसे एक सुन्दर प्रयास कहूंगा.. इस तरह के मिलने मिलाने को नियमत भी बनाया जा सकता है... तीन या छह महीने में एक बार...
हिन्दी ब्लोगरस की एक डारेक्टरी बनाने के बारे में आपका क्या मत है... जिसमें नाम, पता, फोन नम्बर,ईमेल एडरस, चिट्ठे का नाम के साथ फोट भी हों ताकी एक दूसरे को आसानी से पह्चाना जा सके...
तो कब मिल रहे है अब अगली बार...........मुझे बुलाना न भुलियेगा...
मोहिन्दर कुमार, दिल्ली/फरीदाबाद्/ 9899205557/mohinder56@gmail.com/http://dilkadarpan.blogspot.com
इस कड़ी में अमिताभजी ने भी अपने दिल की बात लोकमंच पर रख दी है... वे इस चिट्ठाकार मिलन को एक नई पहल मानते हैं.
वाह चित्र दिखाए आपने बहुत अच्छा। जानकर खुशी हुई कि मिलन अच्छा और सार्थक रहा। इस तरह के मिलन न केवल आपसी मित्रता बढ़ाने में उपयोगी है वरन चिट्ठाकारी की दशा दिशा तय करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
हम कल से ही रिपोर्ट की प्रतीक्षा कर रहे थे। थोड़ा विस्तार से लिखतीं तो ज्यादा अच्छा था।
ऊपर मोहिन्दर जी के सुझाव से मैं भी सहमत हूँ, और इस बारे में लिखने वाला भी हूँ।
आपने तस्वीरों के माध्यम से रिपोर्ट की। हमने आपकी रिपोर्ट में अपने आपको देखा। शुक्रिया। हालांकि ऐसी रिपोर्ट आईना में आनी चाहिए थी।
मैं आना तो चाह रहा था उस मीटिंग में लेकिन टाइम नही निकाल पाया , अगली मीटिंग मे ज़रूर आना चाहूंगा .
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