Saturday, April 28, 2007

आज के सबसे पॉपुलर देवता

सर्व प्रथम --- इस पोस्ट का हिन्दुत्व और मोहल्ला प्रकरण से कोई लेना देना नही है ।


आज शनिवार है और मेरा मानना है कि आज के सबसे पॉपुलर देवता "शनि देव महाराज जी हैं " {हनुमान जी मुझे यह पोस्ट लिखने के लिए उनके कोपदृषटि से बचाना। कहा जाता है कि शनि के क्रोध का तोड सिर्फ हनुमान कर सकते है ,इसलिए शने पीडितो को हनुमान चालीसा के नियमित पठन की सलाह दी जाती है । } जब मै छोटी थी शनि देव से बहुत डरती थी । मेरीमाँ बहुत गॉड-फियरिंग हैं । उन्होने ही भगवानो से डरना सिखाया {अच्छी बातें भी बहुत सारी सिखाई,उन्हे सादर प्रणाम }। उनसे ही जाना कि शनि रुष्ट हो तो सत्यानास ।{मेरी माँ अच्छी पढी लिखी हैं पर शनि की दृष्टि का भय आजकल सभी को हो चला है }
तो डर के मारे शनिवार को ना हम नया कपडा पहन सकते थे ,ना नाखून काट सकते थे, न बाल धो सकते थे { मै तो डर से हँसती भी नही थी ,कहीं पेपरो मे नम्बर खराब हो गए तो...} ।यहाँ तक कि उनके लिए कुछ सोच भी नही सकते थे ,कही काली दाल् दान करने को कभी कह कर भूल गए तो जीवन नर्क समझो। सो हमारे मन मे उनकी छवि देवों मे विलेन जैसी हो गयी {कोई आहत ना हो ,ये मेरे बचपन के विचार हैं } जिसका असर आज तक चला आ रहा है कि लोटे मे सरसों का तेल लिए घूमते बच्चो,स्त्रियो बाबाओ को एक सिक्का तो दे ही देते है ,हफ्ता वसूली :)
शनि की साढेसाती, यानी साढेसात साल चलने वाली दशा और 18 बरस चलने वाली शनि की महादशा व्यापार ,व्यव्साय, स्वास्थ्य,संतान करियर स्टैंडर्ड प्रतिष्टा सब कुछ ध्वंस कर सकती है ।इसी से ज्योतिषी हर दूसरे व्यक्ति का शनि भारी बताते है या और कुछ नही ति आधी साढेसाती कह कर उपाय बताते हैं ।क्योंकि इनके उपाय भी तो उतने ही मँहगे है । नीलम पतथर 20,000 से लेकर 1 लाख की कीमत तक जाता है ।और नेताओ व्यापारोयो को तो इन देव का विशेष भय रहता है और सर्वोत्तम उपाय के लिए उन्हे पत्थर बेचने वाले दूकानदार वाया ज्योतिषाचार्य लाखो का नीलम इम्पोर्ट कर के देते हैं।

शनि के भार से घबराया व्यक्ति कुछ् भी उपाय कर सकता है । इसलिए हमे शनिवार को किसी का प्रसाद लेना भी मना था ।
अब हम खुद हे किसी का प्रसाद नही देते लेते ।
शनि देव पर सीरियल भी है और टी सीरीज़ वालों के गाने भी । "ये है शनि दशा रे मेरे भाई...ओ मेरे बन्धु ... करो शनि देव की मन से पूजा......."शायद फिल्म भी बना डाली है ।खौफनाक फिल्म! देखी तो नही ।पर ऐसी होगी कुछ कि कोई व्यक्ति शनि देव की मन्नत मानकर,, कि बात पूरी हो तो ऐसा ऐसा करूँगा ...--- बात पूरी करवा कर भूल गया होगा । तो शनि देव बोले होंगे -"ले बेट्टा, मन्नत पूरी हुई तो भूल गया...दुख मे सिमरन सब करें...सुख मे ...। तो ले अब भुगतियो बैठ कर " डःइश! डःइश !ढिश! " और फिर सब सत्यानास ! महल झोंपडी हो गया होगा , वह व्यापारी से भिखरी ,बीवी रानी से नौकरानी , बच्चे भींख माँगते होंगे -----"ए माईए! कुछ्ह खाने को दे ना !"और फिर शनि देव {चूँकि उनके पत्नी की मुझे कोई जानकारी नही है } तो कोई और या नारद जी उनसे सिफारिश करते होंगे "हे प्रभु इस अबोध के दुख हरो" वे नही मानते होगे । फिर नारद हनुमान के पास जाते होगे क्योकि नारद सबकीए खबर रखते थे ,कि हे! हनुमान , शनि के कोप से आप ही उन्हे बचा सकते हो ।" ब्ला ब्ला ब्ला ब्ला ब्ला । जिन महाशय ने फिल्म देखी हो मुझे करक्ट कर दे ।
हर वार कुछ न कुछ निषेधात्मक सलाह देता है --
मंगलवार -नाई की दूकान बन्द , मीट बन्द । हम बाल नही धोये । पुरुष दाढी ना बनाऎ।
बुधवार - विवाहिता मायके से ससुराल विदा ना हो । बुधवार व्रत कथा इसी प्रसंग पर बनी है।
गुरुवार -कपडे ना धोएँ , साबुन ना लगाएँ , बाल ना धोएँ { मेडीकर बेचने की ज़रूरत पडेगी कि नही !}
शुक्रवार -खट्टा ना खाएँ । संतोषी माता और लक्ष्मी जी का व्रत ।
और शनिवार - लोहा ना खरीदें । नए काम की शुरुआत ना करे, नया कपडा ना पहने { जैसे हमारी हर नई चीज़ पर शनि देव को आपत्ति हो ।}
हमेशा कहा जाता है --शनि की "कुदृष्टि"।
क्या इसी लिए कहते हैं-----"बुरी नज़र वाले ,तेरा मुँह काला"
काला शनि देव का रंग है । काला बुराइयों का सिंबल है । क्यो ? कृष्ण भी काले थे ।उनको तो पूजते हैं । कृष्ण शब्द का तो अर्थ ही है "काला"

काले को बदनाम करने की साज़िश तो नही है यह । हम भी इंग्लैड मे काले के नाम से बदनाम थे
black indians , black dogs !
खैर यह अवांतर प्रसंग है ।
मुद्दा यह था कि शनि देवों मे और प्राचीन विद्याओं मे आजकल ज्योतिष बहुत पॉपुलर हो रहा है । मीडिया ने यह काम बखूबी अंजाम दिया है । एस 1 और कई चैनल रोज़ का भविष्य बताते हैं ।खबरिया चैनलों को भविष्य बताने की ज़रूरत क्यो पडती है । क्या ज्योतिष इन-थिंग है । क्या हमारे भाग्यवाद को बढावा दिया जा रहा है या मार्केट मे उसे भुनाया जा रहा है ।

सोचें,विचारें

11 comments:

Anonymous said...

ज्योतिष बहुत अच्छी चीज है यदि आप ज्योतिषी हैं या आपको ज्योतिष से कुछ आय हो रही है.
यदि नहीं तो आप उन्मुक्त महोदय के ब्लाग से ज्योतिष टोने टोटके जरूर पढ़े.
ज्योतिष के बढ़ावा मिलने का कारण आने वाले कल के प्रति हमारा डर है या उत्सुक्ता. वरना ज्योतिष कुछ भी तो नहीं है.

नितिन | Nitin Vyas said...

क्या इसका मतलब ये कि रविवार और सोमवार को सब कुछ किया जा सकता है? या आप इन दोनो के बारे में लिखना भूल गईं?

हरिराम said...

आप शनि महाराज की साढ़े साती को आमन्त्रण दे रही हैं शायद इस व्यंग्य लेख के माध्यम से? इनकी शान्ति के लिए सबसे सस्ता, सबसे प्रभावशाली उपाय यहाँ है।

Anonymous said...

बढि़या है। वैसे हमें आज एहसास हुआ कि ये तमाम विकसित देश शनीचर को अपनी दुकान काहे बंद रखते हैं। वे भी डरते हैं शनि महाराज से ऐसा लगता है!

Anonymous said...

अनुप जी, आप कौन से विकसित देशों की बात कर रहे हैं, जहाँ शनिवार को दुकानें बंद रहती हैं। यहाँ तो नही रहती, सातों दिन खुली रहती हैं।

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

सुजाता जी,
आपकी माँ ने जो सीख दी , उसे मानियेगा, क्यूँकि वे आपके भले की बात कह रहीँ हैँ --
"शनि महाराज" ही कहा करते थे मेरे पापा भी !
साढेसाती का कोप स्वयम्` भुगत चुकी हूँ हमारे शास्त्रोँ की सारी बातेँ फिज़ूल नहीँ हैँ ;-)
काफी काम की बातेँ भी मिल जातीँ हैँ -
खैर्!
आपका लेखन, हर विषय पर लिखा मुझे पसँद है - लिखती रहेँ
स -स्नेह
लावण्या

Divine India said...

इमेनुअल कांट ने कहा है आस्था हीं ईश्वर है आस्था नही तो ईश्वर नहीं…।

ePandit said...

श्नैश्चराय नमः

Udan Tashtari said...

सही है. शनि महाराज को तेल चढ़ा आये, अब सब अच्छा है. :)

Anonymous said...

अनुप जी, आप कौन से विकसित देशों की बात कर रहे हैं, जहाँ शनिवार को दुकानें बंद रहती हैं। यहाँ तो नही रहती, सातों दिन खुली रहती हैं।

शनिवार और रविवार को दफ़्तर बन्द होते हैं ना, बस वही कह रहे हैं!! ;)

david santos said...

Thanks for you work and have a good weekend