आप अपने घर को फ्लैट कहना पसन्द करते हैं या अपार्टमेंट ? फिल्म देखने जाएँ तो उसे सिनेमा देखना कहेंगे या मूवी ? भई तय रहा कि आप 'सिनेमा देखने जाएंगे ' तो गँवारू ही कहलाएंगे । मूवी देखिए जनाब !! ई मूवी अमेरिका वाला भाई लोग ने बनाया है न!
अंग्रेज़ राज सुख साज सजै सब भारीपै धन बिदेस चलि जात इहै अति ख्वारी
वे ।कहने को आज हम आज़ाद हैं , पर क्या वाकई ? ये बड़े सवाल हैं , जिन पर रह रह कर मन मे विचार उठते हैं , दबते हैं , अपनी लाचारी से कराह उठती है , बैठ जाती है!और एक बड़े भारतीय जनसमूह के मन मे तो ऐसे सवाल उठते ही नही होंगे । उपनिवेशवाद ने आर्थिक गुलामी से कैसे मानसिक -भाषाई गुलामी का रूप ले लिया है यह अह्सास तीव्र रूप में कल हमें हुआ जब बच्चो के एक स्कूल की पत्रिका मे ब्रिटिश अंग्रेज़ी के शब्दों के नए अमेरिकी इस्तेमाल पढे वर्ना शायद मैं इस ओर कभी ध्यान न देती कि ब्रिटेन की अंग्रेज़ी को सर माथे लेने वाली कौम कब धीरे धीरे अमेरिकी अंग्रेज़ी को अपना कर इठलाने लगी।
देखिए -
अमेरिकन इंग्लिश - ब्रिटिश इंग्लिश
Apartment ----------Flat
Bar -----------------Pub
Cab -----------------Taxi
Corn ----------------Maize
Movie ---------------Cinema
Pants ---------------Trousers
Eraser---------- ----Rubber
Sick -----------------Ill
Vacation------------- Holiday
Can------------ tin
Flashlight ----------Torch
Overpass---------- Flyover
Faculty -------------Staff
ओह ! इरेज़र को रबर बोलना कितना खतरनाक हो गया है आप जानते नही है क्या ।
पहले कुठाराघात हिन्दी पर किया , स्वाभिमान को खतम करने के लिए ....अब देखिए हम उन्हे भी पीछे छोड़ कित्ता आगे आ गए हैं । अब हम सबसे बड़े बॉस की गुलामी में नाक ऊंची करते हैं।
35 comments:
bahut badhiyaa vishleshan hai
इससे यह साबित होता है कि हम "बॉस" की भाषा अपनाते है. कभी पारसी तो कभी अंग्रेजी. अब अमेरीकी अंग्रेजी.....हिन्दी को बॉस की भाषा बनाओ, हिन्दी हिन्दी चिल्लाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी. सब भेड़ें है.
हमें भी क्लाइंट कम्यूनिकेशन में ये बाते सिखाई गई थी.. आपने तो बहुत छोटी लिस्ट दी है, हमें ६-७ पन्ने भर भर कर दिए गए थे.. और हाँ, रबर पर खास हिदायत भी दी गई थी कभी ना बोलने के लिए..
ये तो रही खैर ओफिसियली सिखाई बातें.. मगर मैंने पाया था कि बिना सिखाए ही हम पहले से उसका प्रयोग करना शुरू कर चुके थे.. दिमागी गुलामी धीरे धीरे शुरू हो चुकी है..
बहुत सुंदर पोस्ट ...
आज के वैचारिक खोखलापन की जीवंत तस्वीर पेश करती इस सार्थक रचना के लिए आपका धन्यवाद /
आशा है आप इसी तरह ब्लॉग की सार्थकता को बढ़ाने का काम आगे भी ,अपनी अच्छी सोच के साथ करते रहेंगे / ब्लॉग हम सब के सार्थक सोच और ईमानदारी भरे प्रयास से ही एक सशक्त सामानांतर मिडिया के रूप में स्थापित हो सकता है और इस देश को भ्रष्ट और लूटेरों से बचा सकता है /आशा है आप अपनी ओर से इसके लिए हर संभव प्रयास जरूर करेंगे /हम आपको अपने इस पोस्ट http://honestyprojectrealdemocracy.blogspot.com/2010/04/blog-post_16.html पर देश हित में १०० शब्दों में अपने बहुमूल्य विचार और सुझाव रखने के लिए आमंत्रित करते हैं / उम्दा विचारों को हमने सम्मानित करने की व्यवस्था भी कर रखा है / पिछले हफ्ते अजित गुप्ता जी उम्दा विचारों के लिए सम्मानित की गयी हैं /
बहुत अच्छा विषय चुना है आपने... हिन्दुस्तानी अंग्रेज़ी बोलकर फ़क्र महसूस करते हैं, जबकि अंग्रेज़ ख़ुद फ्रेंच की तरफ़ भाग रहे हैं...
मशहूर अभिनेता बलराज साहनी के संस्मरण की पंजाबी की किताब 'यादां दी कन्नी' में मात्रभाषा के बारे में बहुत अच्छे प्रसंग हैं... बलराज साहनी को अपनी मिट्टी से बहुत लगाव कितना था. इसलिए उन्होंने अपनी मातृभाषा को इज्ज़त देने के लिए अपनी किताब पंजाबी में ही लिखी...
यही बात उच्चारण के लिए भी सही है। अब लोगों को अमरीकी उच्चारण के लिए प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से प्रेरित किया जा रहा है। यह ब्रिटिश उपनिवेश से अमरीकी उपनिवेश के नागरिक होने की स्वाभाविक प्रतिक्रिया है।
इसे कोकटेल संस्क्रति कहते है .बरसो पहले दिल्ली में ऐसे ही एक नयी संस्क्रति का उदय हुआ था 'पप्पी कल्चर "
बहुत सुंदर लिखा है आपने । पहले अरबी-पारसी, फिर अंग्रे़ज़ी और अब अमेरिकन अंग्रेज़ी । संसार में निष्ठापूर्वक गुलामी निभाना कोई हमसे सीखे । फिर ऐसी झूठन चाटने वाले जब फ्रेंच-कट रखकर निज भाषा बोलने वालों पर जब मानसि दबाव बनाने की कोशिश करते हैं तो खून उबल जाता है ।
गुलामी की हमारी जो क्लासिक परंपरा रही उसे देखते हुए लगता है कि आगे चीनी भाषा और संस्कृति की दासता का वक्त आ रहा है क्योंकि 30-40 साल बाद दूनिया में अमेरिका नहीं बल्कि चीन की तूती बोल रही होगी ।
Look means- Dekhana - English
Loukat means - Dekhana_ Bhojpuri
Path -Rashta
Footpath - Rashta
Mai se Mummy ho gai Aur Babuji se Daidy
बहुत अच्छी लगी यह पोस्ट....
हम तो सिनेमा नहीं 'सनीमा' देखने जाते हैं. पर ऐसा बोलने के लिए किसी अप्रत्याशित आंतरिक शक्ति काम करती महसूस होती है जबकि मूवी स्वाभाविक तौर पे निकलती है. पीडी भाई नें जो कहा उसे महसूस कर रहा हूं.
आभार स्वाभिमान याद दिलाने के लिए.
क्योंकि मैं मूवी देखता हूँ.. इसलिए मेरा कुछ भी कहना मुनासिब नहीं... पर शायद ये ग्लोबलाईजेशन का ही एक रूप है.. या फिर सुचना तंत्र पर अमरीका की पकड़.. अब इंटरनेट पर भी तो वही मिलता है.. खैर विषय सोचने वाला ही सही पर बदलना कोई नहीं चाहेगा..
बहुत सही कहा आपने .. मानसिक रूप से गुलाम बनाने के बाद ही किसी देश को पूर्ण तौर पर गुलाम बनाया जा सकता है .. इसे जानते हैं विकसित देश !!
bahtrin bahut khub
lekin dikkat phir wo hi hai hamse to hindi ki puja karwa lo bolne me to abhi bhi 'hesitation' hi hota hai hum to kuch jyada hi gulaam hai hi ndi font tak type nahi kar paa rahe hai
hindi ki 'sewa' karne walon me aaj bhi aise logon ki kami nahi jo maicale ko 'duniya ka sabse bada genius' maante hai gulami ki isse badi misaal aur kahi hogi kya? maine upar maicale ki spelling to sahi likhi hai na?
बचपन से सिखाया गया.. "z" को "जेड".. अब अगर बोलते है तो ऐसा रिएक्शन पाते है की हम अजायबघर से आये है...
"जिसकी खाएं बाजारी, उसकी बजाये हाजरी" आजकल बड़े दादा की बाजारी खा रहे है तो..
ओह इस कृत्य में हम भी शामिल रहे हैं। प्राइवेट स्कूल में शिक्षण के दौरान बच्चों को अमेरिकी अंग्रेजी सिखाने के लिये एक ऐसी British vs American Vocabulary नामक सूची बनाई थी।प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने के दौरान पता नहीं क्या-क्या करना पड़ा, शुक्र है वो दिन जा चुके हैं।
आपने एकदम नई चीज़ की ओर ध्यान दिलाया। अभी तक तो हम अंग्रेजी बनाम हिन्दी की लड़ाई में व्यस्त थे। अब समझ में आ रहा है कि लड़ाई थोड़ी बदल चुकी है।
अमरीकी अंग्रेजी बनाम ब्रिटिश अंग्रेजी बनाम हिन्दी।
बहुत सही मुद्दा ले आईं आप!!
जिसकी लाठी उसकी भैंस ... कभी अँगरेज़ हुकूमत पर सूर्यास्त नहीं होता था ... आज अमरीकी हुकूमत में ...
बिल्कुल सही कहा आपने ...
I think we are coming out of colonial hang-over by adopting American usage which is more 'international' in appeal .
Angrezi is just another language which incidentally has become a bridge language and i think we unnecessarily make it an issue . I liked this post ,but must say that British English still stands for style whereas Americanish is Rough and Bazaroo !
e kuch naya aaya hai angaraji ke saath main amrecan wah wah -------------------angaraji par amrican asar------man khus ho gaya ---
Note Pad
what is this
British English
American English
Or Simply
Hinglish to Justify that we speak hindi
Just had the chance to read this post so thought may be i should put in my views as well although whether you will even read this comment and even find time to reply i doubt
सटील लेख ... अच्छा विश्लेषण है
चाहे सिनेमा हो अथवा मूवी, अपने पास तो टाइम ही नहीं। वैसे इसी बहाने कुछ सामान्यज्ञान बढ़ गया अपुन का। शुक्रिया।
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..की-बोर्ड वाली औरतें।
Humari Galtiyo Se Kahi Tut Na Jana,
Humari Shrarat Se Kahi Ruth Na Jana,
Tumhari Dosti Hi Humari Zindagi He,
Is Pyare Se Bandhan Ko Bhul Na Jana.
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