Thursday, April 29, 2010

सिनेमा देखने जाएंगे तो गँवारू ही कहलाएंगे, मूवी देखिए जनाब !!

आप अपने घर को फ्लैट कहना पसन्द करते हैं या अपार्टमेंट ? फिल्म देखने जाएँ तो उसे सिनेमा देखना कहेंगे या मूवी ? भई तय रहा कि आप 'सिनेमा देखने जाएंगे ' तो गँवारू ही कहलाएंगे । मूवी देखिए जनाब !! ई मूवी अमेरिका वाला भाई लोग ने बनाया है न!

गुलामी कोई देश केवल भौतिक रूप से नही करता। गुलाम देश की भाषा भी गुलामी के संकेत देने लगती है और धीरे धीरे दिमाग ही गुलाम हो जाते हैं।अंग्रेज़ की गुलामी के दौर मे उपनिवेश का आर्थिक शोषण-दोहन किया जाता था । भारतेन्दु हरिश्चन्द्र शोषण के इस रूप को समझ रहे थे और कभी छिपे -खुले ज़ाहिर भी कर रहे थे ।'निज भाषा ' की उन्नति भी उनकी चिंता थी । उनकी ये मारक लाइने नही भूलतीं -

अंग्रेज़ राज सुख साज सजै सब भारी
पै धन बिदेस चलि जात इहै अति ख्वारी

वे ।कहने को आज हम आज़ाद हैं , पर क्या वाकई ? ये बड़े सवाल हैं , जिन पर रह रह कर मन मे विचार उठते हैं , दबते हैं , अपनी लाचारी से कराह उठती है , बैठ जाती है!और एक बड़े भारतीय जनसमूह के मन मे तो ऐसे सवाल उठते ही नही होंगे । उपनिवेशवाद ने आर्थिक गुलामी से कैसे मानसिक -भाषाई गुलामी का रूप ले लिया है यह अह्सास तीव्र रूप में कल हमें हुआ जब बच्चो के एक स्कूल की पत्रिका मे ब्रिटिश अंग्रेज़ी के शब्दों के नए अमेरिकी इस्तेमाल पढे वर्ना शायद मैं इस ओर कभी ध्यान न देती कि ब्रिटेन की अंग्रेज़ी को सर माथे लेने वाली कौम कब धीरे धीरे अमेरिकी अंग्रेज़ी को अपना कर इठलाने लगी।

देखिए -
अमेरिकन इंग्लिश - ब्रिटिश इंग्लिश
Apartment ----------Flat
Bar -----------------Pub
Cab -----------------Taxi
Corn ----------------Maize
Movie ---------------Cinema
Pants ---------------Trousers
Eraser---------- ----Rubber
Sick -----------------Ill
Vacation------------- Holiday
Can------------ tin
Flashlight ----------Torch
Overpass---------- Flyover
Faculty -------------Staff

ओह ! इरेज़र को रबर बोलना कितना खतरनाक हो गया है आप जानते नही है क्या ।

पहले कुठाराघात हिन्दी पर किया , स्वाभिमान को खतम करने के लिए ....अब देखिए हम उन्हे भी पीछे छोड़ कित्ता आगे आ गए हैं । अब हम सबसे बड़े बॉस की गुलामी में नाक ऊंची करते हैं।

35 comments:

Unknown said...

bahut badhiyaa vishleshan hai

संजय बेंगाणी said...

इससे यह साबित होता है कि हम "बॉस" की भाषा अपनाते है. कभी पारसी तो कभी अंग्रेजी. अब अमेरीकी अंग्रेजी.....हिन्दी को बॉस की भाषा बनाओ, हिन्दी हिन्दी चिल्लाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी. सब भेड़ें है.

PD said...

हमें भी क्लाइंट कम्यूनिकेशन में ये बाते सिखाई गई थी.. आपने तो बहुत छोटी लिस्ट दी है, हमें ६-७ पन्ने भर भर कर दिए गए थे.. और हाँ, रबर पर खास हिदायत भी दी गई थी कभी ना बोलने के लिए..

ये तो रही खैर ओफिसियली सिखाई बातें.. मगर मैंने पाया था कि बिना सिखाए ही हम पहले से उसका प्रयोग करना शुरू कर चुके थे.. दिमागी गुलामी धीरे धीरे शुरू हो चुकी है..

Anonymous said...

बहुत सुंदर पोस्ट ...

honesty project democracy said...

आज के वैचारिक खोखलापन की जीवंत तस्वीर पेश करती इस सार्थक रचना के लिए आपका धन्यवाद /

आशा है आप इसी तरह ब्लॉग की सार्थकता को बढ़ाने का काम आगे भी ,अपनी अच्छी सोच के साथ करते रहेंगे / ब्लॉग हम सब के सार्थक सोच और ईमानदारी भरे प्रयास से ही एक सशक्त सामानांतर मिडिया के रूप में स्थापित हो सकता है और इस देश को भ्रष्ट और लूटेरों से बचा सकता है /आशा है आप अपनी ओर से इसके लिए हर संभव प्रयास जरूर करेंगे /हम आपको अपने इस पोस्ट http://honestyprojectrealdemocracy.blogspot.com/2010/04/blog-post_16.html पर देश हित में १०० शब्दों में अपने बहुमूल्य विचार और सुझाव रखने के लिए आमंत्रित करते हैं / उम्दा विचारों को हमने सम्मानित करने की व्यवस्था भी कर रखा है / पिछले हफ्ते अजित गुप्ता जी उम्दा विचारों के लिए सम्मानित की गयी हैं /

फ़िरदौस ख़ान said...
This comment has been removed by the author.
फ़िरदौस ख़ान said...

बहुत अच्छा विषय चुना है आपने... हिन्दुस्तानी अंग्रेज़ी बोलकर फ़क्र महसूस करते हैं, जबकि अंग्रेज़ ख़ुद फ्रेंच की तरफ़ भाग रहे हैं...

मशहूर अभिनेता बलराज साहनी के संस्मरण की पंजाबी की किताब 'यादां दी कन्नी' में मात्रभाषा के बारे में बहुत अच्छे प्रसंग हैं... बलराज साहनी को अपनी मिट्टी से बहुत लगाव कितना था. इसलिए उन्होंने अपनी मातृभाषा को इज्ज़त देने के लिए अपनी किताब पंजाबी में ही लिखी...

Rangnath Singh said...

यही बात उच्चारण के लिए भी सही है। अब लोगों को अमरीकी उच्चारण के लिए प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से प्रेरित किया जा रहा है। यह ब्रिटिश उपनिवेश से अमरीकी उपनिवेश के नागरिक होने की स्वाभाविक प्रतिक्रिया है।

डॉ .अनुराग said...

इसे कोकटेल संस्क्रति कहते है .बरसो पहले दिल्ली में ऐसे ही एक नयी संस्क्रति का उदय हुआ था 'पप्पी कल्चर "

Dr.Rakesh said...

बहुत सुंदर लिखा है आपने । पहले अरबी-पारसी, फिर अंग्रे़ज़ी और अब अमेरिकन अंग्रेज़ी । संसार में निष्ठापूर्वक गुलामी निभाना कोई हमसे सीखे । फिर ऐसी झूठन चाटने वाले जब फ्रेंच-कट रखकर निज भाषा बोलने वालों पर जब मानसि दबाव बनाने की कोशिश करते हैं तो खून उबल जाता है ।

गुलामी की हमारी जो क्लासिक परंपरा रही उसे देखते हुए लगता है कि आगे चीनी भाषा और संस्कृति की दासता का वक्त आ रहा है क्योंकि 30-40 साल बाद दूनिया में अमेरिका नहीं बल्कि चीन की तूती बोल रही होगी ।

Taarkeshwar Giri said...

Look means- Dekhana - English
Loukat means - Dekhana_ Bhojpuri

Path -Rashta
Footpath - Rashta

Mai se Mummy ho gai Aur Babuji se Daidy

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

बहुत अच्छी लगी यह पोस्ट....

36solutions said...

हम तो सिनेमा नहीं 'सनीमा' देखने जाते हैं. पर ऐसा बोलने के लिए किसी अप्रत्‍याशित आंतरिक शक्ति काम करती महसूस होती है जबकि मूवी स्‍वाभाविक तौर पे निकलती है. पीडी भाई नें जो कहा उसे महसूस कर रहा हूं.


आभार स्‍वाभिमान याद दिलाने के लिए.

कुश said...

क्योंकि मैं मूवी देखता हूँ.. इसलिए मेरा कुछ भी कहना मुनासिब नहीं... पर शायद ये ग्लोबलाईजेशन का ही एक रूप है.. या फिर सुचना तंत्र पर अमरीका की पकड़.. अब इंटरनेट पर भी तो वही मिलता है.. खैर विषय सोचने वाला ही सही पर बदलना कोई नहीं चाहेगा..

संगीता पुरी said...

बहुत सही कहा आपने .. मानसिक रूप से गुलाम बनाने के बाद ही किसी देश को पूर्ण तौर पर गुलाम बनाया जा सकता है .. इसे जानते हैं विकसित देश !!

Shekhar Kumawat said...

bahtrin bahut khub

राजन said...

lekin dikkat phir wo hi hai hamse to hindi ki puja karwa lo bolne me to abhi bhi 'hesitation' hi hota hai hum to kuch jyada hi gulaam hai hi ndi font tak type nahi kar paa rahe hai

राजन said...

hindi ki 'sewa' karne walon me aaj bhi aise logon ki kami nahi jo maicale ko 'duniya ka sabse bada genius' maante hai gulami ki isse badi misaal aur kahi hogi kya? maine upar maicale ki spelling to sahi likhi hai na?

रंजन said...

बचपन से सिखाया गया.. "z" को "जेड".. अब अगर बोलते है तो ऐसा रिएक्शन पाते है की हम अजायबघर से आये है...

"जिसकी खाएं बाजारी, उसकी बजाये हाजरी" आजकल बड़े दादा की बाजारी खा रहे है तो..

ePandit said...

ओह इस कृत्य में हम भी शामिल रहे हैं। प्राइवेट स्कूल में शिक्षण के दौरान बच्चों को अमेरिकी अंग्रेजी सिखाने के लिये एक ऐसी British vs American Vocabulary नामक सूची बनाई थी।प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने के दौरान पता नहीं क्या-क्या करना पड़ा, शुक्र है वो दिन जा चुके हैं।

Anonymous said...

आपने एकदम नई चीज़ की ओर ध्यान दिलाया। अभी तक तो हम अंग्रेजी बनाम हिन्दी की लड़ाई में व्यस्त थे। अब समझ में आ रहा है कि लड़ाई थोड़ी बदल चुकी है।
अमरीकी अंग्रेजी बनाम ब्रिटिश अंग्रेजी बनाम हिन्दी।

Udan Tashtari said...

बहुत सही मुद्दा ले आईं आप!!

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" said...

जिसकी लाठी उसकी भैंस ... कभी अँगरेज़ हुकूमत पर सूर्यास्त नहीं होता था ... आज अमरीकी हुकूमत में ...

Dev said...

बिल्कुल सही कहा आपने ...

मुनीश ( munish ) said...

I think we are coming out of colonial hang-over by adopting American usage which is more 'international' in appeal .
Angrezi is just another language which incidentally has become a bridge language and i think we unnecessarily make it an issue . I liked this post ,but must say that British English still stands for style whereas Americanish is Rough and Bazaroo !

Unknown said...

e kuch naya aaya hai angaraji ke saath main amrecan wah wah -------------------angaraji par amrican asar------man khus ho gaya ---

रचना said...

Note Pad

what is this
British English
American English
Or Simply
Hinglish to Justify that we speak hindi

Just had the chance to read this post so thought may be i should put in my views as well although whether you will even read this comment and even find time to reply i doubt

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

सटील लेख ... अच्छा विश्लेषण है

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

चाहे सिनेमा हो अथवा मूवी, अपने पास तो टाइम ही नहीं। वैसे इसी बहाने कुछ सामान्‍यज्ञान बढ़ गया अपुन का। शुक्रिया।

------
..की-बोर्ड वाली औरतें।

Rahul said...

Humari Galtiyo Se Kahi Tut Na Jana,
Humari Shrarat Se Kahi Ruth Na Jana,
Tumhari Dosti Hi Humari Zindagi He,
Is Pyare Se Bandhan Ko Bhul Na Jana.

Anonymous said...

Everything is very open wіth a very cleаr ехрlanation of the challenges.

It was definitеly informative. Your site is useful.
Thank уou for ѕharing!

Have a look аt my wеblog ...
chatroulette
My website: chatroulette

Anonymous said...

An impгeѕsive share! I havе just
forwагԁеd thіs οnto а cο-worker who has
bеen doіng a little гesearch on this.

Anԁ he aсtually bοught me dinner ѕimply because I found it for him.
.. lol. So let me гeword this.... Thanks for the meal!
! But yeah, thanks for ѕpending some time to discuss thіs matteг here on
уour web sitе.

Look into my web site :: acne scars

Anonymous said...

Τoday, I went to the bеach ωith my chіldrеn.
I founԁ a sea shell and gave it to mу 4 year old daughteг and said "You can hear the ocean if you put this to your ear." She placed the shell to hег ear аnd scrеаmeԁ.
Thеre was a hermit crab іnsidе
and it pinched her eaг. Ѕhe nеver wants to go baсk!
LоL I knοw this іs tοtally off topic
but I had to tell somеone!

Μу blоg; Chat Involves

Anonymous said...

I'll immediately snatch your rss feed as I can't in fіnding уοur e-mаil subscriрtion
link or newsletter seгvicе. Do you've any? Please allow me recognize so that I could subscribe. Thanks.

Here is my web page Sixpack

Fashion Photographer said...

Well said...