ठीक ही होगा यह जो
समझाते रहे हो तुम
कि एक धुरी होती है जीवन की
कि इतना कुछ
जो कहती ही रहती हूँ मैं
समेटा जा सकता है
एक शब्द में
और उसी एक के गिर्द घूमते हुए
अस्तित्ववान होती है परिधि
जिसमें वलयाकार लिपटी हैं वे परतें
जिन्हें उघाड़ना चाहती हूँ मैं
मैं चिंतित नहीं हूँ कि
क्या एक शब्द से
तुम निभा लोगे पूरा जीवन !!
मुझे भय है
क्या होगा ध्वनियों का
रंगों और बिजलियों का
अँधेरे और रोशनियों का
इशारों और आकारों का
जिन्हें छूकर मैं पा लेती हूँ
देखना
बोलना हो जाता है
गिरने में अँधेरा सुनती हूँ
और बिजलियों में पढ लेती हूँ आक्रोश
तुम्हारी पंक्तियों के अंतरालों में
लिख लेती हूँ कविता।
भाषा सिर्फ शब्द नहीं है न !
समझाते रहे हो तुम
कि एक धुरी होती है जीवन की
कि इतना कुछ
जो कहती ही रहती हूँ मैं
समेटा जा सकता है
एक शब्द में
और उसी एक के गिर्द घूमते हुए
अस्तित्ववान होती है परिधि
जिसमें वलयाकार लिपटी हैं वे परतें
जिन्हें उघाड़ना चाहती हूँ मैं
मैं चिंतित नहीं हूँ कि
क्या एक शब्द से
तुम निभा लोगे पूरा जीवन !!
मुझे भय है
क्या होगा ध्वनियों का
रंगों और बिजलियों का
अँधेरे और रोशनियों का
इशारों और आकारों का
जिन्हें छूकर मैं पा लेती हूँ
देखना
बोलना हो जाता है
गिरने में अँधेरा सुनती हूँ
और बिजलियों में पढ लेती हूँ आक्रोश
तुम्हारी पंक्तियों के अंतरालों में
लिख लेती हूँ कविता।
भाषा सिर्फ शब्द नहीं है न !
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